गीता प्रेस, गोरखपुर >> सत्यप्रेमी हरिश्चन्द्र सत्यप्रेमी हरिश्चन्द्रगीताप्रेस
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परमात्मा ही सत्य है। वह नित्य एकरस और अविनाशी है। सत्य में कभी परिवर्तन नहीं होता।
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